में, विराट रूप में प्रकट होता है,
गीत गाता है, गीता को प्रकट करताहै, महाज्ञान को प्रकट करता है,
आत्मज्ञान को, प्रमात्मज्ञान कोअभिव्यक्त करता है.
यहीं श्रीकृष्ण के द्वारा उपरोक्त घोषणा में श्रीकृष्ण के कहने के भाव
हैं- मेरी समझ से। पूर्ण पढ़ें अमृताकाशी की समझ को श्रीगीता पर, यहाँ
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