Tuesday, November 15, 2011

साहित्य रचना मातृभाषा में ही

संसार की किन्हीं भाषाओं को पढ़ना, समझना- यह किसी को करनी चाहिये, लेकिन
साहित्याभिव्यक्ति सिर्फ मातृभाषा में ही करनी चाहिये, क्योँकि
अनुभूतियों, संवेदनाओं तथा कल्पनाओं आदि का स्पष्ट प्रतिबिम्बन सिर्फ
मातृभाषा में ही सम्भव है। -अमृताकाशी

--
Amritakashee, Writer: "Krishna Naheen (Hindi)" Blog:
http://krishna-naheen1506.blogspot.com

No comments:

Post a Comment