साहित्याभिव्यक्ति सिर्फ मातृभाषा में ही करनी चाहिये, क्योँकि
अनुभूतियों, संवेदनाओं तथा कल्पनाओं आदि का स्पष्ट प्रतिबिम्बन सिर्फ
मातृभाषा में ही सम्भव है। -अमृताकाशी
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Amritakashee, Writer: "Krishna Naheen (Hindi)" Blog:
http://krishna-naheen1506.blogspot.com
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